भूतपूर्व निदेशकगण

प्रो. पी.आर. पिशारोटी (1962-1967)

 

प्रो. पी.आर. पिशारोटी आईआईटीएम के संस्थापक निदेशक थे। 10 फरवरी, 1909 को केरल के कोलेन्गोड शहर में जन्मे श्री पिशारोटी ने मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिकशास्त्र में स्नातकोत्तर तथा 1954 में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय सेपीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह, 1963 से 1968 तक विश्व मौसमविज्ञान संगठन के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद् के सदस्य थे और बाद में इसके अध्यक्ष नियुक्त हुए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु एवं मौसम विज्ञान संघ में उपाध्यक्ष के पद पर तथा 1969 से 1977 तक वैश्विक वायुमंडलीय शोध कार्यक्रम के लिए संयुक्त आयोजन समिति के सदस्य के तौर पर भी सेवा प्रदान की। उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार के प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार, पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

 

 

प्रो. आर. अनन्तकृष्णन (1968-1971)

 

प्रो. आर. अनन्तकृष्णन ने, प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र मेंअपने शोध कार्य की शुरुआत नोबेल पुरस्कार विजेता श्री सी.वी. रमन के मार्गदर्शन में की। उनके शोध कार्यों ने विभिन्न क्षेत्रों, यथा प्रकाश प्रकीर्णन एवं रमन इफेक्ट, सौर भौतिकी तथा उल्खा खगोल विज्ञान एवं मौसमविज्ञान, में योगदान दिया। मौसमविज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने विभिन्न विषयों, यथा वयुविज्ञान, गतिविज्ञान, ऊष्मागतिकी, ऊपरी वायुमंडल के आकड़ों की त्रुटियाँ, मानसून परिसंचरण, तूफ़ान एवं अवदाब के पथ, वायुमंडलीय दाब एवं स्पंदन, दक्षिण-पश्चिम मानसून का आरम्भ एवं भारतीय वर्षा की विशेषताएं, पर कार्य किया। भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा उन्हें 1969 में पद्मश्री तथा 1988 सी.वी. रमन शताब्दी पदक से सम्मानित किया गया। वह कई प्रख्यात राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के सम्पादक भी थे।

 

डॉ. क्षुदिराम साहा (1974-1976)

 

डॉ. क्षुदिराम साहा का जन्म 1918 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत में  हुई। उन्होंने 1940 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक तथा 1956 में कलकत्ता विश्वविद्यालय (अब कोलकाता) से भौतिकी (मौसम विज्ञान) में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने मौसम सेवा में 1942 में प्रवेश किया और मौसम विज्ञान विभाग तथा भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के साथ काम किया। वे 1974 से 1976 की  समयावधि में आईआईटीएम के निदेशक के रहे। 1976 में संस्थान के निदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे संयुक्त राज्य अमेरिका गये और वहां एमआईटी कैम्ब्रिज में एक अतिथि वैज्ञानिक के रूप तथा बाद में मोंटेरे (कैलिफोर्निया) में नौसेना स्नातकोत्तर विद्यालय की राष्ट्रीय परिषद के वरिष्ठ शोध सहयोगी के रूप में कार्य किया। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके कई शोध-पत्र प्रकाशित हुए तथा वे कई प्रबुद्ध संस्थाओं के  सदस्य भी थे।

 

डॉ. भ.वी.रमन मूर्ति (1978-1985)

 

डॉ. भ.वी.रमन मूर्ति का जन्म 24 सितंबर 1926 को हुआ था। वह 1957 में आईआईटीएम से जुड़े और विभिन्न वैज्ञानिक रूपों में संस्थान की सेवा की। वे 1978 से 1985 की अवधि के दौरान, आईआईटीएम में निदेशक के पद पर रहे। निदेशक के रूप में उन्होंने सुनिश्चित किया कि आईटीएम में चल रहे शोध कार्यक्रमों की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से चलती रहे। वह कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रबुद्ध वैज्ञानिक संस्थाओं के सदस्य  थे। राष्ट्र एवं विश्व को उच्च शोध परिणाम देकर संस्थान जलवायु और मौसम विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करे, इस लक्ष्य के साथ उन्होंने संस्थान का नेतृत्व किया।

 

श्री डी.आर. सिक्का (1986-1992)

 

श्री डी.आर. सिक्का का जन्म 1 मार्च 1932 को पंजाब के झांग मगियाना में हुआ था। पर्यावरण प्रदूषण साथ ही साथ मानसून गर्त क्षेत्र की सीमान्त सतह का अध्ययन करने के लिए मानसून गर्त सीमान्त सतह प्रयोग (मोंटब्लेक्स) एवं भूमण्डल और जैवमंडल की पारस्परिक क्रिया कार्यक्रम (आईजीबीपी) जैसे राष्ट्रीय स्तर के व्यापक विस्तार कार्यक्रम, उनके कार्यकाल में संयोजित किये गये। मानसून मौसम विज्ञान क्षेत्र में उनके ज्ञान और अनुभव को उत्कृष्ट माना जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन मौसम एवं मानसून अनुसंधान के लिए समर्पित कर दिया। वह अपनी वैज्ञानिक क्षमता की सीमाओं से कभी भी पीछे नहीं हटे। आज भी, वे मानसून मौसम विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अपने अभिनव विचारों से कई संगठनों में युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं।

 

प्रो. आर.एन. केशव मूर्ति (1992-1996)

 

प्रो. आर.एन. केशव मूर्ति ने 1973 में प्रो. आर. अनन्तकृष्णन के मार्गदर्शन में पीएचडी की उपाधि अर्जित की। उन्होंने 1993 में जलवायु मॉडलिंग का एक नया प्रभाग स्थापित किया और शुरूआती वर्षों में इसका सफलतापूर्वक निर्देशन भी किया। प्रो. केशव मूर्ति को उनके विभिन्न वैज्ञानिक योगदानों के लिए हरि ओम आश्रम प्रेरित विक्रम साराभाई पुरस्कार, भारत मौसमविज्ञान समाज का बी.एन. देसाई पुरस्कार और आईआईटीएम रजत जयंती पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह भारत की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी तथा भारत मौसमविज्ञान समाजके सदस्य हैं। वह विभिन्न समितियों, विशेष रूप से, विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम (डब्ल्यूसीआरपी) की डब्लूएमओ संयुक्त वैज्ञानिक समितिके सदस्य भी हैं। वायुमंडलीय विज्ञान और तकनीक में उत्कृष्ट योगदान के लिए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने प्रो. आर.एन. केशव मूर्ति को वर्ष 2011 में वायुमंडलीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

 

डॉ. गोविंद बल्लभ पंत (1997-2005)

 

डॉ. गोविंद बल्लभ पंत ने तीन दशकों तक आईआईटीएम में विभिन्न पदों पर साथ ही साथ 1997 से 2005 तक निदेशक के तौर पर अपनी सेवाएँ प्रदान की। उन्होंने 1965 में आगरा विश्वविद्यालय से भौतिकशास्त्र में स्नातकोत्तर तथा 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वायुमंडलीय ऊर्जा-विज्ञान, मानसून गतिकी, ईएनएसओ-मानसून संबंध, मौसमी पूर्वानुमान, जलवायु एवं परिवर्तन, विशेष रूप से पुरा-जलवायुविज्ञान डॉ. पंत की शोध के प्रमुख विषय रहे हैं। इंटरनेशनल जियोस्फीयर बायोस्फीयर प्रोग्राम (आईजीबीपी), डब्ल्यूसीआरपी और जलवायु परिवर्तन पर अन्तर्सरकारी पैनल (आईपीसीसी) जैसी वैज्ञानिक समितियों में एक सदस्य के रूप में उनका योगदान अत्यंत प्रसंशनीय हैं। वे, जलवायु मॉडल पर आईपीसीसी 2007 वर्किंग ग्रुप -1 की रिपोर्ट के एक अध्याय के लिए, समीक्षा संपादक भी रहे जिसे वर्ष 2007 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 

प्रो. बी.एन. गोस्वामी (2006-2014)

 

प्रो. बी.एन. गोस्वामी का जन्म 1 अगस्त, 1950 को असम में हुआ था। उन्होंने 1971 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से भौतिकशास्त्र में एमएससी और 1976 मेंभौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद से प्लाज्मा भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनके कार्यकाल के दौरान, उच्च शक्ति अभिकलन में आईआईटीएम की क्षमता कई गुना बढ़ गई और मानव शक्ति, आधारभूत संरचना और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हुआ। मॉनसून मिशन, क्लाउड-एरोसोल इंटरैक्शन एंड प्रेसिपिटेशन इन्हैंस्मेंट एक्स्प्रिमेंट (सीएआईपीईईएक्स), वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (एसएएफएआर), उच्च तुंगता मेघभौतिकी प्रयोगशाला (एचएसीपीएल) जैसे कई प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों का प्रारम्भ एवं संचालन हुआ। भारतीय ग्रीष्म मानसून अस्थिरता, जलवायु मॉडलिंग के साथ युग्मित उष्णकटिबंधीय महासागर-वायुमंडल प्रणाली का पूर्वानुमान, उनके अनुसन्धान क्षेत्र के विशिष्ट विषय थे। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके लगभग 150 लेख प्रकाशित हैं तथा वह प्रतिष्ठित शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों सेसम्मानित हैं।

 

डॉ. एम.एन. राजीवन (2015-2015)

 

डॉ. एम.एन. राजीवन, जो कि वर्तमान में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव हैं, ने वर्ष 2015 के दौरान आईआईटीएम में निदेशक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान की। उन्होंने 1983 में मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से भौतिकी में अपनी स्नातकोत्तर उपाधि तथा बाद में पुणे विश्वविद्यालय से 1997 में भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। मानसून अस्थिरता, मानसून पूर्वानुमान और जलवायु परिवर्तन उनके अनुसन्धान क्षेत्र के कुछ विशिष्ट विषय रहे हैं। कई अनुप्रयोग उपकरणों तथा सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए पूर्वानुमान प्रतिरूप जैसे दीर्घकालिक पूर्वानुमान प्रतिरूप, ग्रिड जलवायु डेटा सेट और कई अन्य जलवायु अनुप्रयोग उत्पाद, जिनका उपयोग भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा परिचालन हेतु किया जा रहा है, को विकसित करने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। जलवायु सेवाओं की विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, विशेष रूप से डब्लूएमओ के, विशेषज्ञ और सलाहकार होने के नाते कई प्रकाशन, पुरस्कार और सम्मान उनके नाम पर हैं।

 

प्रो. रवि शंकर नन्जुनडैय्या (2017-2021)

 

वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर में प्रोफेसर पद पर कार्यरत प्रो. रविशंकर नन्जुनडैय्या ने वर्ष 2017 से 2021 तक आईआईटीएम के निदेशक के रूप में कार्य किया। आईआईटीएम में आने से पहले, वे भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु में वायुमंडलीय एवं महासागरीय विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष थे। उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से 1984 बीई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) आईआईएससी, बेंगलुरु से 1986 में एमई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की उपाधि प्राप्त की, तत्पश्चात आईआईएससी, बेंगलुरु से 'साधारण मानसून प्रतिरूप में उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्रों की अंतःमौसमी विविधताओं का अध्ययन' विषय पर 1992 में वायुमंडलीय विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। जलवायु प्रतिरूपण, मीसो-स्केल प्रतिरूपण, मानसून परिवर्तनशीलता, जलवायु अध्ययन के लिए उच्च निष्पादन कम्प्यूटिंग का अनुप्रयोग उनकी रुचि के प्रमुख क्षेत्र हैं। उनके नाम कई प्रकाशन, पुरस्कार और सम्मान हैं, जिनमें से उल्लेखनीय हैं: एनवीडिया इनोवेशन अवार्ड (2013); एसोसिएट एडिटर, जेईएसएस (2008-2014); तथा पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में सर सीवी रमन यंग साइंटिस्ट अवार्ड (2000), भारतीय विज्ञान अकादमी के अध्येता, जलवायु प्रणाली की गतिशीलता और सांख्यिकी के संपादकीय सलाहकार बोर्ड (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) के सदस्य। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने निदेशक, आईआईटीएम के रूप में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की और अपने कुशल मार्गदर्शन के माध्यम से आईआईटीएम को उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु अनुसंधान में नई ऊंचाइयों पर ले गए।